Wednesday 16 January 2013

लोरियां.

अपनी आवाज़ में वो
चाँद-तारो को बहाती होगी,

उसकी बाहों की गर्मी में
बेख़ौफ़ आग भी ठंड पाती होगी ,

उसे करीब पाके दिन रात दौडती
ये धड़कन भी चेन पाती होगी ,

जिस्म को कबर में मिलता आराम
उसकी एक छुअन दिलाती होगी,

प्यार के दरिये को खुदमे समेटे
वो जब भी कुछ गुनगुनाती होगी ,

खुद रात को भी नींद आती होगी,
किसी घर में
माँ जब भी लोरियां गाती होगी .

(C) D!sha Joshi.